Neelakshi Singh
Neelakshi Singh’s characters seem to develop layered characters with meta-themes. This includes identity, pleasure of freedom of soul and smaller aspects of life at the expense of full humanity. Her writing comprises various forms of literature. She penned two novels- “Shudhhipatra” and “Khela”, four short-story collections and one memoire- “Hukum Desh Ka Ikka Khota”. She has translated legendary Norwegian writer Tarjei Vesaas’s masterpiece- “The Ice Palace” in Hindi.
“मैं खुद एक जीते-जागते पते में तब्दील हो चुकी थी, फरक बस इतना था कि यहाँ किसी एक डाकखाने की मुहर नहीं दर्ज थी।”
“मैं जब भी कभी मद्धम पड़ती या लड़खड़ा जाती, मेरे भीतर बस यह पता मुझे संभाल लेता। हालांकि इस संभालदारी की कीमत भी चालाकी से वसूलना इसकी रणनीति में शुमार होता और यह दबे पैर या कभी दादागिरी से मेरी हर कहानी में दाखिल हो जाता”
Follow me
उस लड़की के बहुत सारे साइड-इफेक्ट्स थे। कमरे के कोने में किसी कुर्सी की मुँडेर पर या अलगनी पर लटकता बासी कपड़ा जैसे पंखे की हवा में उड़ियाता है अपनी धुन में बेखबर कि किसी की नजर कभी जाएगी उस पर या नहीं, कुछ उसी तरह। वह दिमाग के एक कोने में उफनाना बदस्तूर जारी रखती―सामने होने या न होने पर भी। बल्कि न होने पर ज्यादा।
Neelakshi Singh
“वह कैलेण्डर के बदलते पृष्ठों के बीच आखिरी दिन वाला पन्ना थी, संसार में जिसे फाड़े जाने का रिवाज नहीं था।”
Amidst the changing pages of the calendar, she was the face of the last day, which was not customary in the world to be torn.